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NSDL ने बंद की आधार e-Sign संबंधी सुविधा

NSDL ने बंद की आधार e-Sign संबंधी सुविधा

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आपको बता दें UIDAI के एक निर्देश के तहत NSDL ने आधार e-Sign संबंधी सुविधा को गुरुवार रात को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है।

जी हाँ! दरसल NSDL के इस फ़ैसले से देश में ब्रोकरेज और फिनटेक क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

आपको बता दें इस e-Sign सुविधा के बंद होने के बाद से ब्रोकरेज और फिनटेक क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों को अब फिजिकल तौर पर ग्राहकों को ऑन-बोर्ड करना होगा।

असल में e-Sign एक ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर सेवा है, जो आधार धारक को एक दस्तावेज़ पर डिजिटल हस्ताक्षर करने की सुविधा प्रदान कर सकती है।

ऐसी e-Sign हस्ताक्षर सेवाओं को डिजिटल लेनदेन और सत्यापन के लिए सबसे प्रमुख सहायक कारक के रूप में माना जाता रहा है। आपको बता दें सूत्रों के अनुसार इस सुविधा के चलते NDSL काफ़ी समय से अलग-अलग मिसमैच डेटा सेट और फेक डिपाजिट जैसे कई तकनीकी मुद्दों का सामना कर रहा है।

नवंबर महीनें की शुरुआत में आधार नियमों में संशोधन के बाद बाजार नियामक SEBI ने अपने सभी विनियमित संस्थाओं के लिए e-KYC को फिर से शुरू करने के बारे में नोटिफिकेशन जारी किया था।

लेकिन अब इस निर्णय के बाद से यह स निर्णय के साथ, पूंविनियमित संस्थाएं भी e-KYC या दस्तावेज़ों पर e-Signatures संबंधी सुविधाओं का उपयोग नहीं कर पायेंगी।

इस कदम सबसे अधिक Digio, Veri5, Khosla जैसे स्टार्टअप्स को भी प्रभावित करेगा, जिनका प्राथमिक बिजनेस मॉडल आधार e-Sign सेवाओं पर ही आधारित है।

इस बीच सूत्रों ने यह भी बताया है कि आधार e-Sign सेवाओं में इन्हीं कुछ मुद्दों पर चुनौती का सामना कर रहे NSDL ने UIDAI से संपर्क किया था।

इस बीच NSDL के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक;

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“e-Sign की सुविधा उद्योगपतियों, निवेशकों, स्टार्टअप और व्यापार मालिकों की मदद करने के लिए की गई थी।”

“e-Sign के साथ प्रासंगिक कंपनी के दस्तावेजों या रिकॉर्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए सभी की मौजूदगी के बजाए सह-संस्थापकों या पार्टनर्स के साथ डॉक्यूमेंट साझा किया जाता था। लेकिन इस पूरी व्यापक प्रक्रिया में बहुत सारी गड़बड़ियां हुई और कई लोगों ने e-Sign को अपनाया भी नहीं था।”

इस बीच सूत्रों के ही अनुसार e-Sign की सुविधा को बंद करना सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समर्थन के रूप में भी देखा जा सकता है, जिसके तहत कोर्ट ने निजी संस्थाओं के आधार का उपयोग करने पर रोक लगाई थी।

 

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