भारत में संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो चुकी है, और इसके शुरू होते ही पहले से ही कुछ विवादास्पद बयान सामने आने लगें हैं।
और ऐसा ही एक सुर्खियाँ बटोरने वाला बयान अब केंद्रीय राज्य ग्रह मंत्री जी कृष्णा रेड्डी का भी है। दरसल उन्होनें एक विपक्षी विधायक द्वारा डेटा स्नूपिंग और इंटरसेप्शन से संबंधित सवालों के एक लिखित जवाब में कहा है कि क़ानूनी तौर पर केंद्र और राज्य सरकारों के पास ‘डेटा इंटरसेप्ट’ करने का अधिकार है।
दरसल यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार WhatsApp, Facebook Messenger, Viber, और Google Calls & Messages आदि के निगरानी करने का काम करती है? इस सवाल के जवाब में रेड्डी ने कहा,
“कानूनी रूप से केंद्र और राज्य सरकारों को किसी भी जानकारी के सोर्स, प्रसारण, प्राप्तकर्ता इत्यादि को इंटरसेप्ट करने का हक़ है।”
अपने जवाब उन्होंने यह भी कहा कि
“यह प्रक्रिया कानूनी एजेंसियों द्वारा कानून के अनुसार बनाये नियमों के तहत सुरक्षा उपायों के चलते की जाती है।”
हालाँकि रेड्डी ने इस बात पर कोई जवाब नहीं दिया कि क्या भारत सरकार ने देश भर के NGO कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के चुनिंदा समूहों की जासूसी को लेकर पेगासस सॉफ्टवेयर की सेवाओं का उपयोग किया था या नहीं?
आपको बता बता दें हाल ही में हुए WhatsApp लीक के चलते कई आरोप ऐसे भी लगे कि इस हैकिंग में सरकार की भी पूरी भागीदारी रही थी।
दरसल सरकार पर देश के अन्दर कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की जासूसी करने के लिए इजरायली कंपनी Pegasus Software की सेवाओं का उपयोग किया था।
इस बीच Facebook ने भी एक मुकदमा दायर किया है, जिसमें कंपनी ने आरोप लगाया है कि इस इजरायली कंपनी ने करीब 1400 उपयोगकर्ताओं के मोबाइल फोन में WhatsApp Video कॉल मॉड्यूल को एक हैक की तरह इस्तेमाल किया।
इस बीच इन आरोपों से घिरी सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे रेड्डी ने अपने लिखित बयान में कहा;
“सरकार डिजिटल सूचनाओं का उपयोग भारत की संप्रभुता या अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों या सार्वजनिक व्यवस्था के साथ अच्छे संबंधों या अन्य किसी गंभीर अपराध को रोकने के लिए या किसी की जांच हेतु निगरानी में इस्तेमाल करती है।”
उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे किसी भी केस पर किसी भी राज्य की एजेंसी को इंटरसेप्शन करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मुख्य सचिव व कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा मंजूरी ली जाती है।