संपादक, न्यूज़NORTH
इस बात से तो हर कोई वाकिफ़ है कि दुनिया के साथ ही साथ भारत में भी विडियो कंटेंट की मांग तेजी से बढ़ रही है, और लगातार OTT बाज़ार में प्लेटफ़ॉर्मो की बढ़ती संख्या इसका सबूत देती भी नज़र आती है।
दरसल Boston Consulting Group-Confederation of Indian Industry की ‘The trillion (and growing) touchpoint story – recognising the monetisation conundrum’ नामक एक रिपोर्ट एक अनुसार देश में औसत डिजिटल वीडियो की खपत पिछले दो सालों में दोगुनी से भी अधिक हो गई है।
दरसल इन दो सालों में यह 11 मिनट प्रति दिन से बढ़कर 24 मिनट प्रतिदिन हो गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार 2018 में डिजिटल वीडियो पर औसत सेशन में 15-25% की वृद्धि के साथ सेशन की संख्या में भी 10-15% की वृद्धि हुई है।
हालाँकि इस बात को भी नाकारा नहीं जा सकता कि यह बढ़त सिर्फ़ विडियो कंटेंट में ही नहीं बल्कि अन्य सभी माध्यम के कंटेंट बाज़ार में भी देखने को मिली है।
दरसल भारत का प्रति-व्यक्ति कंटेंट उपभोग सभी प्रकार के कंटेंट प्लेटफ़ॉर्म के सन्दर्भ में बढ़ा है। इसमें डिजिटल मीडिया की कुल विकास दर (CAGRA) पिछले दो सालों में 16% रही है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि,
“डिजिटल वीडियो की खपत पिछले 2 सालों में 11 मिनट प्रति दिन से बढ़कर 24 मिनट प्रति दिन हो गई है, जिसका कारण इंटरनेट और स्मार्टफोन की तेजी से बढ़ती पहुँच भी है।”
दिलचस्प तो यह है कि इंटरनेट और स्मार्टफोन के बाज़ार आगामी दिनों में और भी तेजी से बढ़ने की उम्मीद है, जिसका सीधा असर डिजिटल मीडिया की वृद्धि दर में पड़ता नज़र आएगा।
इस बीच रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बिकने वाले हर तीन में से दो फोन अब स्मार्टफोन हैं।
इस रिपोर्ट में कहा गया है,
“भारत दुनिया में स्मार्टफोन का दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार है, और इसलिए इस बाज़ार में डिजिटल वीडियो कंटेंट की खपत बढ़ना लाजमी नज़र आता है। साथ ही पिछले दो सालों में देश में टेलीकॉम कंपनियों के इंटरनेट प्लान्स में भी काफी गिरावट आई है और सस्ते इंटरनेट के चलते अब जगह जगह इंटरनेट की पहुँच बढ़ रही है। भारत में प्रति व्यक्ति वर्तमान में लगभग 9.8 GB डेटा प्रति माह की खपत कर रहा है।”
वहीँ डिजिटल वीडियो क्षेत्र में विज्ञापनों की संख्या पारंपरिक टीवी विज्ञापनों की तुलना में कहीं तेजी से बढ़ी है, और लगातार बढ़ रही है, जो इन आँकड़ो का एक और कारण है।
रिपोर्ट में बताया गया कि 65% के करीब दर्शक टीवी विज्ञापन के समय का उपयोग मल्टीटास्किंग, स्क्रीन स्विच करने या स्किप करने में करते हैं।
वहीँ इसकी तुलना में मोबाइल विज्ञापन अधिक दर्शकों का लुभा रहें हैं।
इस बीच बढ़ते डिजिटलीकरण की वजह से अब न सिर्फ़ आने वाले दिनों में इन आंकड़ों में और वृद्धि होती नज़र आएगी बल्कि कुछ समय बाद मोबाइल और इंटरनेट विज्ञापनों का बाज़ार काफ़ी तेजी से बढ़ता नज़र आएगा, जैसा की इस रिपोर्ट में भी बताया गया है।